नरेन्द्र मोदी के बाद कौन होगा भाजपा का चेहरा
बिना किसी बहस और विवाद के हर व्यक्ति यह जानता है कि वर्ष 2024 का लोकसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ही लड़ने जा रही है। भाजपा के भीतर अभी इस बात को लेकर द्वंद शुरू नहीं हुआ है कि मोदी के बाद भाजपा का चेहरा कौन होगा? अमित शाह,योगी आदित्य नाथ या फिर शिवराज सिंह चौहान? इन तीनों चेहरों के पास वे ठोस कारण हैं जिसके चलते उन्हें मोदी के बाद प्रधानमंत्री पद का चेहरा होना चाहिए? सामान्य तौर पर नरेंद्र मोदी के उत्तराधिकारी के तौर पर अमित शाह का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में आता है। भाजपा के भीतर भी अमित शाह के विरोध में कोई धड़ा बनता दिखाई नहीं दे रहा है।
भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के क्रियाकलाप में भी यह बात सामने नहीं आती कि कोई प्राइम मिनिस्टर इन वेटिंग फेस भी है?वैसा जैसा कि अटल बिहारी वाजपेयी के दौर में लालकृष्ण आडवाणी हुआ करते थे। भाजपा के भीतर आडवाणी की हैसियत हमेशा ही असरदार रही है। वे देश के उप प्रधानमंत्री रहे। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में उनका दखल उतना ही था जितना कि हम इन दिनों गृह मंत्री अमित शाह का देखते हैं। अमित शाह पार्टी के सबसे बड़े रणनीतिकार के तौर पर उभरकर सामने आए हैं। भाजपा के तीसरी,चौथी पंक्ति के नेता यह कहने में संकोच नहीं करते कि अमित शाह हैं तो पार्टी को सफलता मिलेगी ही। नरेन्द्र मोदी का चेहरा और अमित शाह की रणनीति ने ही कांग्रेस समेत अनेक विपक्षी दलों के सामने अस्तित्व का संकट खड़ा कर दिया है। विपक्षी दल जहां 2024 के चुनाव की रणनीति नहीं बना पा रहे हैं वहीं भाजपा 2029 का एजेंडा तय करने में लग गई है। राम मंदिर से लेकर 370 तक के तमाम उन मुद्दों को नरेंद्र मोदी ने अमलीजामा पहना दिया है जिन्हें आज़ादी के बाद से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हिंदुत्व के नाम पर उठा रहा था। समान नागरिक संहिता और जनसंख्या नियंत्रण का विषय ही बचा हुआ दिखाई दे रहा है। संभव है कि लोकसभा चुनाव के पहले मोदी सरकार इन पर भी कोई फैसला ले ले।
इस बात पर संदेह किए बिना कि भाजपा ही आने वाले कुछ चुनावों में बहुमत हासिल करती रहेगी,नरेन्द्र मोदी ही देश के प्रधानमंत्री बने रहेंगे? वैसे अमित शाह ने यह वर्ष 2014 में ही कह दिया था कि अगले बीस साल तक मोदी ही देश के प्रधानमंत्री रहेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वर्ष 73 साल के हो जाएंगे। 75 पार का भाजपा का फार्मूला उन पर लोकसभा चुनाव के बाद भी लागू नहीं होता। लालकृष्ण आडवाणी तो 82 वर्ष की उम्र में भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद का चेहरा रहे हैं। वर्ष 2004 का लोकसभा चुनाव भाजपा ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में ही लड़ा था। 2009 के लोकसभा चुनाव में आडवाणी भाजपा का चेहरा थे। भाजपा को सफलता नरेंद्र मोदी के चहरे पर ही मिल रही है। उत्तर-पूर्वी राज्यों के चुनाव परिणामों से भी उनकी लोकप्रियता और अमित शाह की रणनीति पूरी तरह से स्थापित हुई है। अमित शाह भले ही उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरह भगवा धारण नहीं करते लेकिन, उन्होंने हिंदुत्व की राजनीति को लोगों के दिलों-दिमाग तक पहुंचा दिया है।
योगी आदित्यनाथ,प्रधानमंत्री पद के लिए भाजपा को चेहरा कभी बन पाएंगे? यह सवाल उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि यह सवाल कि मोदी के बाद कौन? योगी आदित्यनाथ उत्तरप्रदेश में उसी राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं जिसकी जमीन गृह मंत्री अमित शाह ने तैयार की है। योगी के निशाने पर माफिया भी है और अल्पसंख्यक वर्ग के अपराधी तत्व भी हैं। योगी की छवि एक आक्रामक नेता बन रही है। उनके बुलडोजर ने नई न्याय व्यवस्था को जन्म दिया है। योगी की तर्ज पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी बुलडोजर न्याय का समर्थन करते दिख रहे हैं। एक प्रतिस्पर्धा सी मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के बीच दिखाई देती है। मध्यप्रदेश ने निवेश के लिए समिट रखी तो उसके कुछ दिन बाद ही योगी आदित्यनाथ ने उत्तरप्रदेश में निवेश लाने के आयोजन कर लिया। योगी उत्तरप्रदेश में आए निवेश की ब्रांडिंग देश भर में कर रहे हैं। उनकी कोशिश उत्तरप्रदेश को निवेश का वही मॉडल बनाने की है जो नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्रित्व काल में गुजरता था। जबकि शिवराज सिंह चौहान अपनी लोकप्रिय योजनाओं के जरिए बढ़त बनाने की कोशिश कर रहे हैं। पहले लाडली लक्ष्मी और फिर लाडली बहना का उनका मॉडल आम आदमी के बीच उनकी पहुंच को बढ़ा रहा है।